पृथ्वी (Earth) की सतह ऊष्मा के चक्र का संतुलन कायम में महासागरों का बड़ा योगदान रहता है. सामान्यतः धरती जो भी मानवजनित और अन्य ऊष्मा उत्सर्जित है, वह वायुमंडल चली जाती है जिससे वायुमंडल ज्यादा गर्म लगता है. लेकिन महासागर काफी ऊष्मा अपने अंदर समेट लेता जिससे वायुमंडल और धरती पर का दबाव कम हो जाता है. इसके अलावा महासागर पृथ्वी के पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण पर्यावरण की अहम प्रक्रियाएं पारिस्थितिकी तंत्रों को संतुलित रखने में भूमिका निभाता है. लेकिन आज को भी पूरी पृथ्वी की तरह परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग जैसे कई खतरों निपटने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र साल साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day 2022) मनाकर ऐसे के लिए समर्पित रखता है.
हर साल 8 जून को
पिछले 14 सालों से राष्ट्र राष्ट्र 8 जून को सालाना कार्यक्रम करता है जिसे “डिविजन ऑफ ओशीन एंड द लॉ ऑफ द सी” संचालित करता है. संयुक्त राष्ट्र मुताबिक इन कार्यक्रमों से से महासागरों महत्व को माने और उनसे तरह अंतरक्रिया कैसे की जाए यह का एक अवसर मिलता है.
महासागरों से गहरा नाता
संयुक्त राष्ट्र महासागर दिवस की वेबसाइट के मुताबिक ना केवल हमसे जुड़े रहते वे हमें कायम रखते हुए हमारा समर्थन करते हैं. . हम सभी की सेहत उन पर निर्भर करती है. पिछले कुछ ने दिखाया है कि हमें मिलजुल महासागरों के लिए नया संतुलन के लिए काम करना होगा जिससे वे हो सकें.
पुनर्जीवन के लिए सामूहिक प्रयास
विश्व महासागर पर इस बार की थीम भी इसी मुद्दे आधारित है. “रीवाइटलाइजेशन: कलेक्टिव एक्शन द ओशीन ओशीन” यानि “पुनर्जीवन: महासागरों के सामूहिक कदम“ थीम में को फिर से उसी से जीवंत करने की लिए प्रयास करने को कहा जा जा रहा है जिसके लिए वे जाने जाते हैं लेकिन पिछले कुछ समय समय समय समय समय समय से से से से से से अपनी क्षमताएं खो रहे हैं.
महासागरों (Oceans) से इंसान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही तरह से गहरा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कितने निर्भर हैं महासागरों पर हम
वैसे सामान्य पर नहीं लगता है, लेकिन हमारा पूरा महासागरों पर बहुत ज्यादा निर्भर है. 70 पृथ्वी की 70 प्रतिशत सतह पानी से ढकी है. यह पृथ्वी 50 प्रतिशत ऑक्सीजन का उत्पादन करता यह पृथ्वी की अधिकांश जैवविविधता का घर है. .
यह भी पढ़ें: .
संकट में महासागर
महासागर हमारी अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी बहुत. लेकिन आज महासागर खुद बड़े संकट में हैं. 90. आधी से कोरल रीफ नष्ट हो चुके हैं वापसी अब संभव ही न हीं. हमें ही करना होगा कि महासागरों के ये अब खजाने नहीं हों.
आज महासागरों (Oceans) में जीवन धरती तुलना में ज्यादा खतरे में हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ओशीन वार्मिंग भी
इसके अलावा कई प्रक्रियाएं भी महासागरों में सथंक. इनमें सबसे प्रमुख है महासागरों में गर्मी बढ़ना. जिस तरह ग्लोबल वार्मिंग वायुमंडल और जलवायु को संकट में रहे हैं. ओशीन वार्मिंग भी एक बड़ी समस्या है. महासागर भारी में वायुमंडल में उत्सर्जित हो रही हाउस गैसों के कारण बढ़ रही को अवशोषित करते हैं.
यह भी पढ़ें: .
एक आंकलन मुताबिक 1970 के दशक से गैसे से उत्सर्जित हो रही ऊष्मा महासागर महासागर 93 प्रतिशत हिस्सा हिस्सा अवशोषित कर हैं. इससे महासागरों पढ़ रहा है और उनकी ऑक्सीजन की क्षमता कम होती जा है जो पूरे महासागरों के पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक है. इसलिए महासागरों पुनर्जीवित करना भले ही हैरान करने वाली लगती हो, लेकिन हकीकत यही कि हमें जल्द से जल्द को सहेजने की जिम्मेदारी लेनी ही ही होगी.
News18 हें आज की खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी वेबसाइट वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Climate Change, Environment, Research, Science, united nations
FIRST PUBLISHED: June 08, 2022, 08:04 IST
hindi.news18.com